" हाईड्रौपोनिक्स" - शहरो मे दे सकता हरी भरी वादियां

 " हाईड्रौपोनिक्स" -  शहरो मे दे सकता हरी भरी वादियां

लेखिका ✍ निवेदिता मुकुल सक्सेना झाबुआ


प्राचीन समय मे हर  घर मे बगीचा , उद्यान या किचन गार्डन हुआ करता था । लेकिन बढते भौतिकवाद ने लोगो मे बागवानी  के प्रति रुचि कम ही की है बल्कि बढते भौतिक संसाधन ने लोगो को कही न कही आलसी भी बनाया या कहे प्रकृति के प्रति रचनात्मकता मे कमी आती गयी ऐसे मे लोगो के पास पर्याप्त जगह होने के बावजूद भी अपने बाढ़ों(घर आंगन की खुली जगह) को ओटलो मे बदल खाली छोढ़ दिया ।

जब हम प्रकृति की शरण मे जाते हैं तब प्रकृति हमारे आस पास की कई नकरात्मकता को हर लेती है व सुरक्षात्मक आवरण का निर्माण करती हैं। ओर हो भी क्यु ना, हरी भरी वादिया अपने आप मे ही सकुन प्रदान करती हैं , बस जरुरत है प्रकृति के लिये हमारे नजरिये की की हम उसके प्रति कितना समर्पित हैं।

 कई बार ऐसे लोग जो शहर से छोटे शहर,अंचल,या गांव मे आते है। तो कहते है यहा आते ही शुद्ध वायू प्राप्त होती हैं जबकी शहर के  बहू मंजिला डिब्बाई मकानो मे घुटन सी लगती हैं।  सच भी है जब चारो ओर दिवारो मे बंद जीवन चाहे एयरकंडीशनर की हवा या ठण्डक ही क्यु ना हो ।  ओर वही कारण  बनता  रोगो को जन्म देने की वजह कुछ भी एयरकनडिशनर  की समानांतरता पृकृति से तो सम्भव नही ।लेकिन वास्तविकता को नजरअंदाज भी नही किया जा सकता की  शहरो मे हर घर बागवानी अब सम्भव भी नही ऐसे मे प्राकृतिक रुप से फ़ल,फुल व सब्जी कैसे उगाई जाए ।"जेनेटिक मोडिफ़ाइंग प्लाण्टस" के चलते फसलो की संख्या बड़ी लेकिन कार्बनिक फसल की गुणवत्ता कही न कही घटी हैं। क्युकी प्रकृति का हस्तांतरण वास्तविकता के आधार पर नगण्य है। लेकिन खनिज तत्वो का स्वरुप बदला नही जा सकता।

 शहरो की बढती प्रदूषण क्षमता के चलत घरो की पेक बंद एयरकंडीशन मे कार्बन डाई ऑक्साइड की संख्या बढती जा रही जिससे माइग्रैन, हाई ब्लड प्रेशर,  फेफडो की बिमारी, लकवा आदि का प्रतिशत बढता जा रहा है।जहा  शहरीकरण बढता जा रहा वही मिट्टी की कमी भी होती जा रही कहना गलत नही होगा जमिन भी कॉन्क्रीट की हो गयी। तब मिट्टी की विलुप्त्ता होती जा रही।

समस्याओ का भंडार कम  नही वरन जीन्दगी की सांसो की अमुल्य ड़ौर पृक्रती से टूटकर अलग होती जा रही व चीन्तन का विषय तब जब ऑक्सीजन का मह्त्व लोगो के मानसिक पटल से गुम सी हो गयी एक रेतीले रेगिस्तान को फेला लिया जहा मृगमरीचिका की तरह अप्राकृतिक ओक्सिजन को खोज रहा।

 जिम्मेदारी हमारी-

  "जल संवर्धन या मिट्टी विहीन" खेती या पौधे को लगाना या हायड्रोपोनिक्स एक वैज्ञानिक पद्धति जिससे कल्चर सोलुशन मे पौधो को उत्पन्न किया जाता है।

    हायड्रोपोनिक्स के द्वारा सब्जियो व फलो की अच्छी पैदावार घरो मे की जा सकती है ,व इस प्रक्रिया से घरो मे हरियाली के साथ आक्सिजन की भी उत्पत्ति होती रहेगी व हरियाली के कारण आँखो को भी राहत मिलेगी। 

 बढते "फ्लैट कल्चर " मे हायड्रोपोनिक्स फायदेमंद होगी जिसमें " ,नॉप व सेक सॉलुशन ", जिसमें सभी खनिज तत्वो की बहुतायत पाई जाती हैं। जिसके कारण पौधो को प्रचुर मात्रा मे पोषक तत्व जो पौधो के लिये आवश्यक है , उन्हे प्राप्त होते रहेंगे। हाल ही मे कयी बागवानी शौकीन लोगो को देखा गया जिन्होने फ्लैट मे रहते हुये छोटे छोटे गेलेरी मे हायड्रोपोनिक्स गार्डन निर्मित किये।

 हायड्रोपोनिक्स" हरी भरी वादिया शहरो मे बढा देगी ओर प्राकृतिक सुरम्य वातावरण तैयार होगा जो कोन्करिट के जंगल मे हरी भरी वातावरण तैयार करेगा।

Post a Comment

और नया पुराने