।।076।। बोधकथा। 💐🌺 जो मिला है वही बहुत है 💐🌺


एक नेत्रहीन व्यक्ति भिक्षा मांग कर अपना जीवन निर्वाह करता था। जो कुछ मिल जाता उसी से अपनी गुजर-बसर करता था।


 एक दिन एक धनी व्यक्ति उधर से निकला। उस अंधे के फटे हाल पर बहुत दया आई,और उसने ₹100 का एक नोट उसके हाथ पर रखकर आगे की राह ली। 


भिक्षुक ने नोट को टटोल कर देखा और समझा कि किसी ने उसके साथ ठिठोली की है,और कागज का टुकड़ा थमा दिया है। तो खिन्न होकर उसे जमीन पर फेंक दिया।


 एक सज्जन ने यह दृश्य देखा, तो नोट को उठाकर पुनः उस नेत्रहीन व्यक्ति को दिया और बताया- यह तो ₹100 का नोट है।

 तब वह बहुत प्रसन्न हुआ और उसने अपनी आवश्यक वस्तुएं उस रुपये से खरीदी।


 ज्ञान चक्षुओं के अभाव में, हम भी परमात्मा  के दिए अपार दान को देख और समझ नहीं पाते और सदा यही कहते रहते हैं कि, हमारे पास कुछ नहीं  हमें कुछ नहीं मिला है, हम साधन हीन हैं।

 पर यदि हमें जो नहीं मिला है उसकी शिकायत करना छोड़ कर, जो मिला है उसी की महत्ता को समझे, तो मालूम होगा, कि जो कुछ मिला हुआ है, वह कम नहीं, अद्भुत है,अधिक है। 


 हम कितने कृतघ्न हैं! जो परमात्मा का धन्यवाद करने के स्थान पर, उससे निरंतर शिकायतें किया करते। 


।। मनेन्दु पहारिया।।

   28/10/2022

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