||011|| बोध कथा | गुरू जी लेते हैं आपने शिष्य की परीक्षा



 गुरू जी लेते हैं आपने शिष्य  की परीक्षा परिणाम घोषित करते चयन प्रक्रिया शुरू कर फिर देते हैं दीक्षा________________ शिष्य__गुरु अपने शिष्य से पूछता तुम कौन सा व्यापार करना चाहते हो पहले तुम क्या करते थे शिष्य बोलता है कि गुरु जी मैं पहले पशु व्यापार करता था एक पशु को खरीद कर दूसरे मेले में जाकर बेचता था अभी ऊंटों का व्यापार चल रहा है मुझे एक मेले से ऊंट खरीद कर दूसरे मेले में बेचता हूं  मुझे उसका अच्छा धन प्राप्त होता है मुझे आशीर्वाद दें मेरा व्यापार दुगना उत्साह गति से मैं व्यापार कर सकूं पिछली बार गुरुजी मेरे व्यापार में बहुत नुकसान गया था कृपया आशीर्वाद आप मुझे प्रदान करें कि मेरा व्यापार सही मार्गदर्शन में चलता रहे गुरुजी ने कहा मैं तुम्हें आशीर्वाद देता हूं ईमानदारी और खुद्दारी से अपना व्यापार करें आगे ईश्वर की मर्जी यह कहकर व्यापारी चला गया व्यापारी व्यापार करने जब गया मेले मेंएक सौदागर को बाजार में घूमते हुए एक उम्दा नस्ल का ऊंट दिखाई पड़ा। सौदागर और ऊंट बेचने वाले के बीच काफी लंबी सौदेबाजी हुई और आखिर में सौदागर वो ऊंट खरीदकर घर ले आया।

घर पहुंचने पर सौदागर ने अपने नौकर को ऊंट का कजावा (काठी) निकालने के लिए बुलाया।


कजावे के नीचे नौकर को एक छोटी सी मखमल की थैली मिली, जिसे खोलने पर उसे कीमती हीरे-जवाहरात भरे होने का पता चला। नौकर चिल्लाया- मालिक! आपने ऊंट खरीदा, लेकिन देखो, इसके साथ क्या मुफ्त में आया है।


सौदागर भी हैरान था, उसने अपने नौकर के हाथों में हीरे-जवाहरात देखे जो कि चमचमा रहे थे और सूरज की रोशनी में और भी टिम-टिमा रहे थे।

सौदागर बोला- मैंने ऊंट खरीदा है न कि हीरे-जवाहरात, मुझे इसे फौरन वापस करने चाहिए।


नौकर मन ही मन में सोच रहा था कि मेरा मालिक कितना बेवकूफ है, और फिर बोला- मालिक! किसी को भी पता नहीं चलेगा।

पर सौदागर ने एक न सुनी और वो फौरन बाजार पहुंचा और उस ऊंट बेचने वाले को मखमली थैली वापिस दे दी।


ऊंट बेचने वाला बहुत खुश था, वो बोला- मैं भूल ही गया था कि अपने कीमती पत्थर मैंने कजावे के नीचे छुपाकर रख दिए थे। अब आप इनाम के तौर पर कोई भी एक हीरा चुन लीजिए।


सौदागर बोला- मैंने ऊंट के लिए सही कीमत चुकाई है, इसलिए मुझे किसी भी शुक्राने और ईनाम की जरूरत नहीं है।


जितना सौदागर मना करता जा रहा था, ऊंट बेचने वाला उतना ही जोर दे रहा था।


आखिर में सौदागर ने मुस्कुराते हुए कहा- असलियत में जब मैंने थैली वापस लाने का फैसला किया था, तब मैंने पहले से ही दो सबसे कीमती हीरे इसमें से अपने पास रख लिए थे।


इस कबूलनामें के बाद ऊंट बेचने वाला भड़क गया, और उसने अपने हीरे-जवाहरात गिनने के लिए थैली को फौरन खाली कर दिया। पर वो बड़ी ही पशोपेश में बोला- मेरे सारे हीरे तो यही हैं, तो सबसे कीमती दो कौन से थे जो आपने रख लिए?


सौदागर बोला- मेरी ईमानदारी और मेरी खुद्दारी।


------ तात्पर्य ------

हमें अपने अंदर झांकना होगा कि हम में से किस-किस के पास यह दो हीरे हैं, और जिस किसी के पास भी यह दो हीरे हैं वो दुनिया का सबसे अमीर व्यक्ति है। अपने गुरु जी के प्रति उसकी निष्ठा प्राप्त हुई  🌄🌄🌄🌄🌄🌄🌄

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