रेलवे प्लैटफॉर्म पर जब गाड़ी रुकी तो एक लड़का पानी बेचता हुआ निकला, ट्रेन में बैठे एक सेठ ने उसे आवाज दी- ऐ लड़के! इधर आ ! लड़का दौड़कर आया !
उसने पानी का गिलास भरकर सेठ की ओर बढ़ाया तो सेठ ने पूछा,
कितने पैसे में ?
लड़के ने कहा - पच्चीस पैसे !
सेठ ने उससे कहा कि, पंदह पैसे में देगा क्या ?
यह सुनकर लड़का हल्की मुस्कान दबाए पानी वापस घड़े में उड़ेलता हुआ आगे बढ़ गया !
उसी डिब्बे में एक महात्मा बैठे थे जिन्होंने यह नजारा देखा था कि लड़का मुस्करा कर मौन रहा !
जरूर कोई रहस्य उसके मन में होगा !
महात्मा नीचे उतरकर उस लड़के के पीछे-पीछे गए !
बोले - ऐ लड़के ठहर! जरा यह तो बता तू हंसा क्यों ?
वह लड़का बोला, महाराज मुझे हंसी इसलिए आई कि सेठजी को प्यास तो लगी ही नही थी, वे तो केवल पानी के गिलास का रेट पूछ रहे थे !
महात्मा ने पूछा -
लड़के तुझे ऐसा क्यों लगा कि सेठजी को प्यास लगी ही नही थी !
लड़के ने जवाब दिया -
महाराज जिसे वाकई प्यास लगी हो वह कभी रेट नही पूछता, वह तो गिलास लेकर पहले पानी पीता है फिर बाद में पूछेगा कि कितने पैसे देने है ?
पहले कीमत पूछने का अर्थ हुआ कि प्यास लगी ही नही है !
वास्तव में जिन्हें ईश्वर और जीवन में कुछ पाने की तमन्ना होती है वे वाद- विवाद में नही पड़ते, पर जिनकी प्यास सच्ची नही होती वे ही वाद- विवाद में पड़े रहते है !
वे साधना के पथ पर आगे नही बढ़ते !
*अगर भगवान नही है तो उसका ज़िक्र क्यो ??*
*और अगर भगवान है तो फिर फिक्र क्यों ???*
"मंज़िलों से गुमराह भी कर देते है कुछ लोग !!
हर किसी से रास्ता पूछना अच्छा नही होता ....!
अगर कोई पूछे जिंदगी में क्या खोया और क्या पाया ...
तो बेशक कहना ...
जो कुछ खोया वो मेरी नादानी थी
और जो भी पाया वो उसकी/गुरु की मेहरबानी थी !
खुबसूरत रिश्ता है मेरा और भगवान के बीच में,
ज्यादा मैं मांगता नही और वो कम देता नही ....
जन्म अपने हाथ में नही ;
मरना अपने हाथ में नही ;
पर जीवन को अपने तरीके से जीना
अपने हाथ में होता है ;
मस्ती करो मुस्कुराते रहो ;
सबके दिलों में जगह बनाते रहो !!
जीवन का 'आरंभ' अपने रोने से होता है और
जीवन का 'अंत' दूसरों के रोने से ..!
इस *आरंभ और अंत* के बीच का समय,
भरपूर हास्य भरा हो !!
*.... बस यही सच्चा जीवन है ....!!!
।। मनेन्दु पहारिया।।
15/09/2022
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